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शनिवार, 11 मार्च 2017

doha

दोहा दुनिया
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भाई-भतीजावाद के, हारे ठेकेदार
चचा-भतीजे ने किया, घर का बंटाढार
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दुर्योधन-धृतराष्ट्र का, हुआ नया अवतार
नाव डुबाकर रो रहे, तोड़-फेंक पतवार
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माया महाठगिनी पर, ठगी गयी इस बार
जातिवाद के दनुज सँग, मिली पटकनी यार
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लग्न-परिश्रम की विजय, स्वार्थ-मोह की हार  
अवसरवादी सियासत, डूब मरे मक्कार
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बादल गरजे पर नहीं, बरस सके धिक्कार
जो बोया काटा वही, कौन बचावनहार?    
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नर-नरेंद्र मिल हो सके, जन से एकाकार
सर-आँखों बैठा किया, जन-जन ने सत्कार
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जन-गण को समझें नहीं, नेतागण लाचार
सौ सुनार पर पड़ गया,भारी एक लुहार
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गलती से सीखें सबक, बाँटें-पाएँ प्यार
देश-दीन का द्वेष तज, करें तनिक उपकार 
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दल का दलदल भुलाकर, असरदार सरदार 
जनसेवा का लक्ष्य ले, बढ़े बना सरकार 
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