कुल पेज दृश्य

बुधवार, 28 सितंबर 2016

bundeli muktika

मुक्तिका बुंदेली में 
*
पाक न तन्नक रहो पाक है?
बाकी बची न कहूँ धाक है।। 
*
सूपनखा सें चाल-चलन कर
काटी अपनें हाथ नाक है।।
*
कीचड़ रहो उछाल हंस पर
मैला-बैठो दुष्ट काक है।।
*
अँधरा दहशतगर्द पाल खें
आँखन पे मल रओ आक है।।
*
कल अँधियारो पक्का जानो
बदी भाग में सिर्फ ख़ाक है।।
*
पख्तूनों खों कुचल-मार खें
दिल बलूच का करे चाक है।।
*

कोई टिप्पणी नहीं: